Wednesday 22 October 2014

roshni ke ghar andhera..

रौशनी के घर अँधेरा ....

आज दीपावली है। … रोशनी का पर्व ... आज मैं उसी रास्ते से घर  जा रहा हूँ.....

रास्ते  में एक दुकान से दीए भी खरीदने हैं ....




रोज़ उस दिए वाले के पास बहुत खरीददार होते हैं ... यह आदमी रोज़ मिटटी ला कर मेहनत से दिए बनाता  है...

मैं वहा पहुचता हूँ ....और ये क्या मैं क्या देखता हूँ .....


आज वो आदमी अकेला दुकान  पर बैठा सुबक रहा है ....  
उसकी आखों में आंसूं हैं  माथे पर शिकन और चेहरे पर  उदासी। 

मेरे पूछने पर वो अपना दर्द बयान करता है ..

 वो कहता है के वो मजबूर है उसकी किस्मत के हाथों ... 


उसकी बेटी की शादी है दो दिन बाद
 और उसके हाथ खाली .... 
पैसे नहीं दिए तो  बेटी की शादी नहीं होगी ....




रोज़ वहां भीड़ होती तो है खरीददारी के लिए लेकिन १० का दिया लोग 5 या 7 रुपए में ले कर जाते हैं 

वो औरतें उससे झगड़ती हैं , उसे रुलाती हैं , बुरा भला कह कर 3  रूपए बचा कर इठलाती हैं ...




वही जो १० का दिया १०० में शोरूम से खरीदने से नहीं हिचकती लेकिन यहाँ गरीब को रुलाती हैं ...


जो रौशन करता है दूसरे का संसार आज उसी के घर अँधेरा छाया है ....





मैं उसके सारे दिए खरीद लेता हूँ।  उसे लोन दिला कर उसकी मदद करता हूँ। 


उसकी बेटी की शादी तो हो जाती है  ...उसकी दुकान भी अब शोरूम बन चुकी है बैंक  से ...
आज वही दिया वो 100 का बेचता है जो कभी १० का हुआ करता था ....



वही लोग वही दिया लेकिन एक चीज़ बदल चुकी है .....उसकी सोच ..उसे समझ आ गया पैसे की कीमत है इंसान के हुनर की नहीं और इंसान की तो बिलकुल ही नहीं ..

वही लोग आज उससे इज़्ज़त से पेश आते हैं .... अब वो गरीब जो नहीं रहा ...


don't let such things happen to the less privilages ones.. as not everyone gets an angelic person and a loan from bank easily..

help them instead of manipulating and torturing them ..



kindly do not bargain with such small scale manufacturers and vendors as they dont have other side business to cope up with thier losses and please the customers...

lets celebrate this diwali with gratitude .....happy diwali..!! 


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